पशु-पक्षियों का सेक्स जीवन

पशु-पक्षियों का सेक्स जीवन

पशु-पक्षियों का सेक्स जीवनपशु-पक्षियों का सेक्स जीवन ,यह ‍अविश्वसनीय भले ही लगे लेकिन है सच कि सेक्स के मामले में पशु-पक्षि भी से किसी भी प्रकार कम नहीं हैं। जिस तरह सेक्स को लेकर मनुष्यों में पागलपन की हद तक दीवानगी देखी जाती है, ऐसी ही दीवानगी पशु-पक्षियों में भी आम है। जिस तरह से अपने जीन्स को नई पीढ़ी को देने की प्रवृत्ति मनुष्यों में होती है और इसके लिए प्रजनन वांछित होता है। ठीक इसी तरह से पशुओं की बहुत सारी प्रजातियाँ अपनी प्रजाति को बढ़ाती हैं।

जिस तरह से पुरुष और महिलाएँ केवल प्रजनन के उद्‍देश्य से सेक्स नहीं करते हैं, ठीक उसी तरह से पशुओं-पक्षियों के बारे में भी कहा जा सकता है कि उनके लिए भी सेक्स मात्र संतानोत्पत्ति का कारण नहीं है। जिस तरह अनेक व्यक्तियों से यौन संबंध बनाना मनुष्यों में पाया जाता है, ठीक उसी तरह से पशु-पक्षियों में भी यह व्यभिचार पनपता है।

हालाँकि माना यह जाता है कि ‘मादा’ प्रजनन की ऊँची कीमत चुकाती है और इस कारण से नर के साथ संसर्ग में वह बहुत सतर्क और सावधानी बरतने वाली होती है, ऐसा भी नहीं है। रेड साइडेड गार्टर साँपों को अगर उनके मेटिंग सीजन में देखा जाए तो उनका व्यवहार इस तरह का होता है मानो वे भी मनुष्यों की तरह अमर्यादित व्यवहार कर रहे हों। इन साँपों का मिलन ऐसा होता है मानो मेटिंग बाल्स बन गई हों।

टोड्‍स जिस तरह से यौन संसर्ग करते हैं उसे एम्प्लेक्सस कहा जाता है। इस स्थिति में नर मेंढक मादा के शरीर पर पीछे से चढ़ जाता है और उसके अंडों का बाहर से ही गर्भाधान करता है। अगर प्रतियोगिता ज्यादा बढ़ जाती है तो कई मेंढक एक ही मादा के शरीर पर चढ़ जाते हैं और इसका परिणाम यह भी होता है कि मादा कभी-कभी पानी में डूब जाती है। पर अगर मादा मेंढक बची रहती है तो वह एक साथ कई मेंढकों के बच्चे पैदा करती है।

सामाजिक विस्तार के लिए अगर एक साथ कई नर-मादाओं का मेल जरूरी होता है तो बोनबो प्रजाति के बंदरों में यह आम तौर पर पाई जाती है। चूँकि यह समाज मादा प्रधान होता है इसलिए मादाएँ बिना किसी हिंसा के अधिक से अधिक नरों के साथ संबंध बना सकती हैं।

आदमियों के बारे में कहा जाता है कि 99 फीसदी लोग हस्तमैथुन करते हैं और बाकी बचे एक फीसदी लोग इस बारे में झूठ बोलते हैं। लेकिन बंदर इस मामले में काफी कुख्यात होते हैं। बहुत सारे जानवर अपने जननांग को चाटने का काम करते हैं। हालाँकि यह हमेशा ही सेक्स संबंधी कारणों से नहीं होता है, लेकिन कंगारुओं को ऐसा करते आसानी से देखा जा सकता है। इसी तरह की प्रवृति घोड़ों में भी देखी जाती है और इनके पालक इस पर रोक लगाने की कोशिश करते हैं जो कि घोड़ों के वीर्य पर बुरा असर डालती है।

मनुष्यों की तरह से पशुओं में भी समलैंगिकता बहुत प्रचलित है। प्राणी वैज्ञानिक ब्रूस बैजमिल ने ‘बायोलॉजिक एक्स्यूबरेंस-एनीमल होमोसेक्सुअलिटी एंड नचुरल डाइवर्सिटी’ किताब में लिखा है कि प्रकृति में पाए जाने वाले 470 प्रजातियों के पशु-पक्षियों में यह प्रवृत्ति पाई जाती है।

विकीपीडिया में इन पशु-पक्षियों की प्रजातियों की सूची भी दी गई है। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 के अंत में ओस्लो विश्वविद्यालय में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें ऐसे पशु-पक्षियों को प्रदर्शि‍‍त‍ किया गया था। समुद्री पक्षियों में यह प्रवृत्ति इस हद तक होती है कि ये मादा पक्षी न केवल साथ साथ रहते हैं वरन एक ही घोसलों में रहते हैं और एक साथ ही चूजों को जन्म भी देते हैं।

नर शुतुरमुर्गों में भी समलैंगिकता पाई जाती है और वे एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए एक विशेष प्रकार का नाच भी करते हैं। इतना ही नहीं, न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क जू में रॉय और सिलो नाम के दो नर पेंगुइन हैं जो साथ मिलकर एक चूजे टेंगो की देखभाल कर रहे हैं। पहले दोनों ने एक चट्‍टान को सेने की कोशिश की, लेकिन बाद में जू के अधिकारियों ने उन्हें एक अंडा दे दिया और दोनों ने मिलकर टेंगों को सेने का काम किया था।

वर्ष 1994 में प्राणी वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में दो नर ऑक्टोपस को यौन संसर्ग करते देखा था। शोध करने वालों ने पाया कि समुद्र में पाए गए दोनों ऑक्टोपस नर थे लेकिन वे अलग-अलग प्रजाति के थे।

अपने सेक्स में परिवर्तन लाना मनुष्यों के लिए पशु-पक्षियों की तुलना में दुष्कर काम है। लोगों को तरह-तरह के इंजेक्शनों और सर्जरी की मदद लेनी पड़ती है, लेकिन कीड़े-मकोड़ों, जमीन पर घूमने और वनस्पतियाँ खाने वाले घोंघों और कुछ मछलियों के लिए अपना लिंग बदल लेना सरल काम है।

इन प्राणियों की कुछ प्रजातियों तो ऐसी भी होती हैं जो कि जीवन के शुरुआत में एक लिंग की होती हैं, लेकिन बाद के समय में अपना लिंग बदल लेती हैं। एक समुद्री कीड़ा, जिसे ऑफ्रीयोट्रोका प्यूराइलिस प्यूराइलिस कहा जाता है, जीवन की शुरुआत में नर होता है, लेकिन बाद में मादा में बदल जाता है। जो नर शरीर से बड़े हो जाते हैं, वे मादा में बदल जाते हैं।

इतना ही नहीं, जब दो मादा गोबी मछलियाँ संसर्ग करती हैं, तो उनमें से एक नर बन जाती है। बाद में यह मछलियाँ बड़ी आसानी से मादा भी बन जाती हैं। कई प्राणी तो ऐसे भी होते हैं जिनमें नर और मादा दोनों के अंग होते हैं। घोंघे और केंचुए इसी तरह के प्राणी होते हैं।

इन प्राणियों के अलावा समुद्री घोघें तो बाकायदा स्पर्म ट्रेडिंग तक करते हैं ताकि दोनों को बराबरी का हिस्सा मिल सके। पर इन प्राणियों में भी आपसी संसर्ग ही अधिक होता है और आत्म गर्भाधान कम होता है, लेकिन उत्तरी अमेरिका में बनाना घोंघे पाए जाते हैं जो 25 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं और यह स्वत: ही गर्भाधान करते हैं।

लिंग बदलने की क्षमता रेंगने वाले प्राणियों में अधिक होती है क्योंकि इन्हें संभावित साथी बड़ी मुश्किल से ही मिलता है। परंतु मैनग्रोव मछलियों की एक प्रजाति ऐसी भी होती है जो कि स्वत: गर्भधारण कर सकती है।

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