पशुओं के लिए खनिज लवणों का उनके प्रजनन में अतिमहत्वपूर्ण स्थान है। शरीर में इनकी कमी से नाना प्रकार के रोग एवं समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। पशुओं में खनिज लवणों के कमी से पशुओं का प्रजनन तंत्र भी प्रभावित होता है, जिससे पशुओं में प्रजनन संबंधित विकार पैदा हो जाते है, जैसे पशुओं का बार-बार मद में आना , अधिक आयु हो जाने के बाद भी मद में नहीं आना, ब्याने के बाद भी मद में नहीं आना या देर से मद में आना या मद में आने के बाद मद का नहीं रूकना इत्यादि । इन विकारों के लिये उत्तरदायी कारणों में एक कारण खनिज लवणों की कमी भी हैं।
पशुओं के लिए खनिज लवण के विस्तृत जानकारी से पहले यह बताना आवश्यक है, कि खनिज लवण क्या है ?
किसी भी वस्तु के जलने पर जो राख बचती है, उसे भस्म या खनिज कहतें हैं। यह बहुत ही थोड़ी मात्रा में प्रत्येक प्रकार के चारे-दाने तथा शरीर के प्रायः सभी अंगों मे पाये जाते है। प्राकृतिक रूप से लगभग ४० प्रकार के खनिज जीव-जन्तुओं के शरीर में पाये जाते है, लेकिन इसमें से कुछ अत्यन्त उपयोगी है। जिनकी आवश्यकता पशु के आहार में होती है। शरीर के आवश्यकतानुसार खनिजों को दो भागों में बाटते हैं।
एक जो खनिज लवण पशुओं के लिए अधिक मात्रा में आवश्यक है, जिनकी मात्रा को ग्राम में या प्रतिशत में व्यक्त करते है इनको प्रमुख खनित कहते है, जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम , सल्फर, मैग्निशियम तथा क्लोरीन।
दूसरे पशुओं के लिए खनिज लवण वे जो शरीर हेतु बहुत सूक्ष्म मात्रा में आवश्यक होते है, जिसको पी.पी.एम. में व्यक्त करते है, ऐसे खनिजों को सूक्ष्म या विरल खनिज कहते है,जैसे लोहा, जिंक, कोबाल्ट, कापर, आयोडिीन, मैगनीज, मोलीब्डेनम, वेमियम, लोरिन, सेलेनियम, निकल, सिलिकान, टिन एवं वेनाडियम। यघपि दूसरे सूक्ष्म खनिज जैसे एल्यूमीनियम, आर्सेनिक , बेरियम, बोरान, ग्रोमीन, कैडमियम भी शरीर में पाये जातें है, परन्तु शरीर में इसकी भूमिका के बारे में अभी तक स्पस्ट जानकारी नहीं प्राप्त हो सकी हें।
इस प्रकार कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम , सल्फर, मैग्नीशियम, क्लोरीन, लोहा तॉबा, कोबाल्ट, मैगनिज, जिंक एवं आयोडीन आदि पशुओं के लिए अति आवश्यक खनिज लवण है, जो जीवन एवं स्वास्थ्य रक्षा हेतु आवश्यक है। शरीर में पशुओं के लिए खनिज लवण के सामान्य कार्य की बात किया जाय तो कैल्शियम एवं फास्फोरस दॉत हड्डियों के बनने में आवश्यक है। दूधारू पशुओं के रक्त में कैल्शियम की कमी से दुग्ध ज्वर हो जाता है। सोडियम, पोटैशियम एवं क्लोरीन शरीर के द्रवों में परिसारक दबाब को ठीक बनाये रखते है तथा उनमें अन्य गुणों का सन्तुलन स्थापित करते है। रक्त में पोटैशियम, कैल्शियम तथा सोडियम का समुचित अनुपात हदय की गति तथा अन्य चिकनी मांसपेशियों को उत्तेजित करने एवं उनमें संकुचन की क्रिया सम्पन्न करने के लिए आवश्यक है। लौह लवण लाल रक्त कणों में हीमोग्लोबिन बनाने में आवश्यक होता है, जिसके कारण रक्त में आक्सीजन लेने की शक्ति पैदा होती है। इसके अलावा पशुओं के लिए खनिज लवण या तो शरीर के कुछ आवश्यक भाग को बनातें हैं या एन्जाइम पद्वति के आवश्यक तत्व बनाते है। इसके अतिरिक्त इनके कुछ विशेष कार्य भी होते है।
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले पशुओं के लिए खनिज लवण की बात की जाए तो (ग्रोमिन फोर्ट प्लस Growmin Forte Plus) ये मुख्यतः कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, तॉबा, कोबाल्ल्ट, मैगनित आयोडीन एवं जिंक है। इन तत्वों की कमी से पशुओं में मदहीनता अथवा बार-बार मद में आना एवं गर्भ धारण न करने की समस्यायें आती है। आहार में कैल्शियम की कमी के कारण अडांणु का निषेचन कठिन होता है, तथा गर्भाशय पीला तथा शिथिल हो जाता है। पशुओं के आहार में फास्फोरस के कमी से पशुओं में अण्डोतत्सर्ग कम होता है, तथा पशु का गर्भपात हो जाता है। अन्य सूक्ष्म खनिज लवण भी पशुओं में अण्डोत्पादन, शुवणुत्पादन, निषेचन, भ्रूण के विकास एवं बच्चा पैदा होने तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभातें है।मुर्गियों में अण्डा उत्पादन हेतु कैल्शियम सहित अन्य खनिज लवण अति आवश्यक है। इनके आहार में कैल्शियम के कमी से अच्छी गुणवत्ता वाले अण्डे का उत्पादन प्रभावित होता है।
चारे में प्रोटीन, कार्बोहार्इड्रेट, मिनरल्स तथा विटामिनों की क्षमता बढ़ाने तथा कमी पूरी करने के लिए (अमीनो पॉवर Amino Power) नियमित रूप से दें | (अमीनो पॉवर Amino Power) नियमित रूप से देने पर उत्पादकता में कम से कम 25% की बढ़ोतरी होती है, वजन तेजी से बढ़ता है, रोग प्रतिरोधी छमता बढ़ती है और चारे पर भी खर्च कम आता है ।
अतः पशुपालक भाईयों को चाहिए कि इस तरह की समस्याओं को दूर रखने के लिए पशुओं को संतुलित आहार दें, अर्थात पशुओं के दाने एवं चारे में शर्करा या कार्बोहाइडेट, प्रोटीन,वसा, खनिज लवण तथा विटामिनों का सन्तुलित मात्रा में होना नितान्त आवश्यक होता है। इन पोषक तत्व के असन्तुलित होने के कारण ही कुपोषण जन्य रोग पैदा होते है।
पशुओं के आहार में सुखे चारे के साथ – साथ हरे चारे का होना आवश्यक है । केवल हरा चारा या केवल सूखा चारा नहीं देना चाहिए, कम से कम दो – तिहाई सूखा चारा तथा एक तिहाई हरा चारा होना चाहिए। जहॉ तक दाना की बात है तो कोई एक प्रकार का दाना या खली नही देना चाहिऐ बल्कि इनका मिश्रण होना चाहिए। यदि एक कुन्टल दाना तैयार करना है तो २०-३० किग्रा खली, ३०-४० किग्रा चोकर, १५-२५ किग्रा, दलहनी फसलों के उत्पाद, १५-२५ किग्रा अदलहनी फसलों के उत्पाद, २ किग्रा खड़िया एवं १ किग्रा नमक लेकर भली भाति मिश्रित कर लेना चाहिए। प्रौढ़ पशुओं को निर्वाह हेतु ऐसे मिश्रित दाने की एक नियमित मात्रा एवं अन्य कार्यो जैसे प्रजनन एवं गर्भ हेतु १-१.५० किग्रा एवं दूध उत्पादन हेतु ढ़ाई से तीन किग्रा दूध पर १ किग्रा दाना निर्वाहक, आहार के अतिरिक्त देना चाहिए।
इस प्रकार से दिये गये आहार से पशुओं में खनिज लवणों की कमी की अधिकाशंत: की पूर्ति हो जाती है, परन्तु फिर भी इनमें से कुछ सूक्ष्म खनिज लवणों की कमी की पूर्ति नहीं हो पाती है जिसके लिए पशुओं के लिए खनिज लवण ( इम्यून बुस्टर Immune Booster -Premix) उपलब्ध है,जो की काफी लाभदायक और त्वरित परिणाम देनेवाला है, जिसको ५० से १०० ग्राम प्रतिदिन प्रति प्रौढ़ पशु को देना चाहिए। पशुओं के आहार में खिलायें जाने वाले विभिन्न चारो दानों, जैसे हड्डियों एवं मांस के चूर्ण में १५ से ६४ प्रतिशत, दो दालिय सूखी घासों में ७ से ११ प्रतिशत, खली एवं भूसी में ५-७ प्रतिशत, भूसा में ४-५ प्रतिशत, आनाज में १.५-३.० प्रतिशत एवं हरे चारे तथा साइलेज में १ से ३ प्रतिशत खनिज लवण पायें जाते हैं। पशुपालन से सम्बंधित कृपया आप इस लेख को भी पढ़ें , दुधारू पशुओं के आहार संतुलित कैसे बनायें और खिलाएं ?
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