Growel Agrovet Private Limited

पशु का आवास कैसे बनायें ?

पशु का आवास कैसे बनायें

पशु का आवास कैसे बनायेंपशु का आवास जितना अधिक स्वच्छ तथा आरामदायक रहता है,पशु का स्वस्थ उतना ही अच्छा रहता है जिससे वह अपनी क्षमता के अनुसार उतना ही अधिक दुग्ध उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है।अत: दुधारू पशु के लिए साफ सुथरी तथा हवादार पशुशाला का निर्माण अतिआवश्यक है क्योंकि इसके आभाव से पशु दुर्बल हो जाता है और उसे अनेक प्रकार के रोग लग जाते है ।एक आदर्श गौशाला बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये:

(1)पशु का आवास का स्थान का चयन:
गौशाला का स्थान समतल तथा बाकि जगह से कुछ ऊँचा होना आवश्यक है ताकि बारिस का पानी,मल-मूत्र तथा नालियों का पानी इत्यादि आसानी से बाहर निकल सके।यदि गहरे स्थान पर गौशाला बनायी जाती है तो इसके चारो ओर पानी तथा गंदगी एकत्रित होती रहती है जिससे गौशाला में बदबू रहती है।गौशाला के स्थान पर सूर्य के प्रकाश का होना भी आवश्यक है।धुप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए।गौशाला की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से पूर्व व पश्चिम से सूर्य की रोशनी खिड़कियों व दरवाजों के द्वारा गौशाला में प्रवेश करेगी।सर्दियों में ठंडी व बर्फीली हवाओं से बचाव का ध्यान रखना भी जरूरी है।

(2)स्थान की पहुंच:
गौशाला का स्थान पशुपालक के घर के नज़दीक होना चाहिए ताकि वह किसी भी समय आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र गौशाला पहुंच सके।व्यापारिक माप पर कार्य करने के लिए गौशाला का सड़क के नज़दीक होना आवश्यक है ताकि दूध ले जाने, दाना, चारा व अन्य सामान लाने-लेजाने में आसानी हो तथा खर्चा भी कम हो।

(3)पशु का आवास का  बिजली,पानी की सुविधा:
गौशाला के स्थान पर बिजली व पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखना आवश्यक है क्योंकि डेयरी के कार्य के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूर होती है, इसी प्रकार वर्तमान समय में गौशाला के लिए बिजली का होना भी आवश्यक है क्योंकि रात को रोशनी के लिए तथा गर्मियों में पंखों के लिए इसकी जरूरत होती है।

(4)चारे,श्रम तथा विपणन की सुविधा:
गौशाला के स्थान का चयन करते समय चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है क्योंकि चारे के बिना दुधारू पशुओं का पालना एक असम्भव कार्य है।हरे चारे के उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि का होना भी आवश्यक है।चारे की उपलब्धता के अनुरूप ही दुधारू पशुओं की संख्या रखी जानी चाहिए।पशुओं के कार्य के लिए श्रमिक की उपलब्धता भी उस स्थान पर होनी चाहिए क्योंकि बिना श्रमिक के पड़े पैमाने पर पशुपालन का कार्य चलना अत्यन्त कठिन होता है।दुग्ध उत्पाद जैसे दूध,पनीर,खोया आदि के विपणन की सुविधा भी पास में होना आवश्यक है अत: स्थान का चयन करते समय दुग्ध उत्पाद के विपणन सुविधा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।

(5)पशु का आवास का स्थान का वातावरण:
पशुशाला एक साफ-सुथरे वातावरण में बनानी चाहिए।प्रदूषित वातावरण पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है जिससे दुग्ध उत्पादन में कमी हो सकती है।पशुशाला के आसपास जंगली जानवरों का प्रकोप बहुत कम अथवा बिल्कुल नहीं होना चाहिए ताकि इनसे दुधारू पशुओं को खतरा न हो।

पशु का आवास बनाने की विधि:

दुधारू पशु का आवास आवास सामान्यत: दो प्रकार का होता है:(क) बंद आवास तथा (ख) खुला आवास

()बंद आवास:

इस विधि में पशु को बांध कर रखा जाता है तथा उसे उसी स्थान पर दाना-चारा दिया जाता है।पशु का दूध भी उसी स्थान पर निकाला जाता है।इसमें पशु को यदि चरागाह की सुविधा हो तो केवल चराने के लिए ही कुछ समय के लिए खोला जाता है अन्यथा वह एक ही स्थान पर बना रहता है।

इस प्रकार के आवास में कम स्थान की आवश्यकता है, पशुओं को अलग-अलग खिलाना, पिलाना संभव है, पशु की बिमारी का आसानी से पता लग जाता है तथा पशु आपस में लदी नहीं कर सकते।उपरोक्त लाभों के साथ-साथ इस विधि में कुछ कमियां भी है जैसेकी आवास निर्माण अधिक खर्चीला होता है, स्थान बढाये बगैर पशुओं की संख्या बढाना मुश्किल होता है, पशुओं को पूरी आज़ादी नहीं मिल पाती है तथा मद में आए पशु का पता लगाना थोडा मुश्किल होता है।

()खुला आवास:

इस विधि में पशुओं को एक घिरी हुई चारदीवारों के अन्दर खुला छोड़ दिया जाता है तथा उनके खाने व पीने की व्यवथा उसी में की जाती है।इस आवास को बनाने का खर्च अपेक्षकृत कम होता है।इसमें श्रम की बचत होती है, पशुओं को ज्यादा आराम मिलता है तथा मद में आए पशु का पता आसानी से लगाया जा सकता है।इस विधि की प्रमुख कमियों में इसमें अधिक स्थान की आवश्यकता पडती है, पशुओं को अलग-अलग खिलाना संभव नहीं है तथा मद में आए पशु दूसरे पशुओं को तंग करते है।

()अर्ध खुला आवास:

अर्ध खुला आवास बंद तथा पूर्ण आवासों की कमियों को दूर करता है।अत: आवास की यह विधि पशुपालकों के लिए अधिक उपयोगी है।इसमें पशु को खिलाने, दूध निकालने अथवा इलाज करते समय बाँधा जाता है, बाकी समय में उसे खुला रखा जाता है।इस आवास में हर पशु को 12-14 वर्ग मी. जगह की आवश्यकता होती है जिसमें से 4.25 व.मी.(3.5 1.2 मी.) ढका हुआ तथा 8.6 व.मी.खुला हुआ रखा जाता है।व्यस्क पशु के लिए चारे की खुरली (नांद) 75 सेमी. छड़ी तथा 40 सेमी.गहरी रखी जाती है जिसकी अगली तथा पिछली दीवारें क्रमश:75 व 130 सेमी.होती है।खड़े होने से गटर( नाली) की तरफ 2.5-4.0 सेमी.होना चाहिए।खड़े होने का फर्श सीमेंट अथवा ईंटों का बनाना चाहिए।गटर 30-40सेमी. चौड़ा तथा 5-7 सेमी.गहरा तथा इसके किनारे गोल रखने चाहिए । इसमें हर 1.2 सेमी. के लिए 2.5सेमी. ढलान रखना चाहिए।बाहरी दीवारें1.5 मी. ऊँची रखी जानी चाहिए।इस विधि में बछड़ों – बछड़ियों तथा ब्याने वाले पशु के लिए अलग से ढके हुए स्थान में रखने की व्यवस्था की जाती है।प्रबंधक के बैठने तथा दाने चारे को रखने के लिए भी ढके हुए भाग में स्थान रखा जाता है।

  • गर्मियों के लिए शेड के चारो तरफ छायादार पेड़ लगाने चाहिए तथा सर्दियों तथा बरसात में पशुओं को ढके हुए भाग में रखना चाहिए।सर्दियों में ठंडी हवा से बचने के लिए बोरे अथवा पोलीथीन के पर्दे लगाए जा सकते हैं।

पशु का आवास से सम्बंधित निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखनी चहिये:

  • सूखी और उचित तरीके से तैयार जमीन पर शेड का निर्माण किया जाए ।जिस स्थान पर पानी जमा होता हो और जहाँ की जमीन दलदली हो या जहाँ भारी बारिश होती हो, वहाँ शेड का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए।
  • शेड की दीवारें 1.5 से 2 मीटर ऊँची होनी चाहिए। दीवारों को नमी से सुरक्षित रखने के लिए उनपर अच्छी तरह पलस्तर किया जाना चाहिए।शेड की छत 3-4 मीटर ऊँची होनी चाहिए. शेड को पर्याप्त रूप से हवादार होना चाहिए. फर्श को पक्का / सख्त, समतल और ढालुआ (3 से.मी.प्रति मीटर) होना चाहिए तथा उसपर जल-निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वह सूखा व साफ-सुथरा रह सके।
  • पशुओं के खड़े होने के स्थान के पीछे 0.25 मीटर चौड़ी पक्की नाली होनी चाहिए।प्रत्येक पशु के खड़े होने के लिए 2 x 1.05 मीटर का स्थान आवश्यक है.।नाँद के लिए 1.05 मीटर की जगह होनी चाहिए।नाँद की ऊँचाई 0.5 मीटर और गहराई 0.25 मीटर होनी चाहिए।नाँद, आहार-पात्र, नाली और दीवारों के कोनों को गोलाकार किया जाना चाहिए, ताकि उनकी साफ-सफाई आसानी से हो सके।प्रत्येक पशु के लिए 5-10 वर्गमीटर का आहार-स्थान होना चाहिए।
  • गर्मियों में छायादार जगह/आवरण और शीतल पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए.जाड़े के मौसम में पशुओं को रात्रिकाल और बारिश के दौरान अंदर रखा जाना चाहिए।प्रत्येक पशु के लिए हर रोज़ बिछावन उपलब्ध कराया जाना चाहिए. शेड और उसके आसपास स्वच्छता रखी जानी चाहिए।
  • दड़बों और शेड में Viraclean (विराक्लीन) के घोल का छिड़काव कर बाहरी परजीवियों, जैसे – चिचड़ी, मक्खियों, आदि को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
  • पशुओं के मूत्र को बहाकर गड्ढे में एकत्र किया जाना चाहिए और तत्पश्चात् उसे नालियों / नहरों के माध्यम से खेत में ले जाना चाहिए. गोबर और मूत्र का उपयोग उचित तरीके से किया जाना चाहिए।गोबर गैस संयंत्र की स्थापना आदर्श उपाय है।जहाँ गोबर गैस संयंत्र स्थापित न किए गए हों, वहाँ गोबर को पशुओं के बिछावन एवं अन्य अवशिष्ट पदार्थों के साथ मिलाकर कम्पोस्ट तैयार किया जाना चाहिए.पशुओं के आवास में और आवास के आस- पास नियमित रूप से Viraclean (विराक्लीन) का स्प्रे अवश्य करें ।उनके नाद और खाने -पिने के वर्तन को सफाई करने के बाद Viraclean (विराक्लीन के घोल से धो डालें,इससे से किसी संक्रामक बीमारी का खतरा कम से कम रहता है। कृपया आप इस विडियो को भी देखें  गाय पालन कैसे करें ?

अगर आप पशुपालन या डेयरी फार्मिंग ब्यवसाय करतें हैं और अपने ब्यवसाय में अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहतें हैं तो फेसबुक ग्रुप लाभकारी मुर्गीपालन और पशुपालन कैसे करें?  का सदस्य बनें

Growvit PowerGrowvit Power

ग्रोविट पॉवरBuy Now Growel Products.An Strongest & Most Powerful Vitamin AD3E,which gives immediate result in Cattle and Poultry.

Composition: Each 5 ml contains

Vitamin A : 250000 IU
Vitamin D 3 : 30000 IU
Vitamin E : 150000
Vitamin C : 500 mg
Vitamin B 12 : 100 mcg
Selenium : 50 ppm
Biotin : 25 mcg
Lysine : 7.5 mg
Choline Chloride : 50 mcg
Methionine : 50 mg

Indication & Benefits :

  • For weight gain and faster growth of poultry & cattle.
  • It is beneficial in crazy chick’s disease .
  • Helpful for hatchability, fertility & egg production in poultry .
  • Maintains overall health, help in healthy pregnancy improve fertility & milk production of cattle.
  • Should be given for immunity building & fighting for disease in poultry & cattle.
  • It should be given during any kind of stress in livestock.
Dosage :
For 100 Birds :
Broilers & Growers : 10-15 ml.
Layers : 15-20 ml.
For Cattle
Cows & Buffalo: 40-50 ml daily.
Calf,Goat ,Sheep & Pig  : 20-30 ml daily.
Should be given daily for 7 to 10 days, every month or as recommended by veterinarian.

Packaging: 100 m.l., 500 m.l. ,1 ltr. ,5 ltr. 

Download Literature

poultry liver tonic,animal liver tonicGrowlive Forte

ग्रोलिव फोर्टBuy Now Growel Products.

A Double Power Cattle & Poultry Liver Tonic for preventing hepatic disorders – diseases and better FCR.

Composition: Each 10 ml contains:

Tricholine Citrate : 1500 mg
Protein Hydrolysate : 100 mg
Vitamin B 12 : 4 mcg
Inositol : 10 mg
Methyl Donors : 66 mg
Selenium : 7 mcg
Vitamin -E : 20 mg
Biotin : 6 mcg
Base enriched with liver stimulants- q.s.

Indication & Benefits :

  • A powerful cattle & poultry liver tonic for quick recovery of hepatic disorders & diseases .
  • Stimulates the function of kidneys in maintaining water salt equilibrium.
  • Reduce incidence of Gout, Leechi and Ascites in poultry.
  • To improve poultry egg production, hatch-ability and weight gain.
  • It is working as a supportive therapy in hepatic dysfunction due to hepatic disease i.e. Aflatoxins, Mycotoxins, Lipidosis , Fatty Liver Syndrome. etc.
  • For the treatment of liver dysfunction in poultry & cattle due to parasitic diseases.
  • For the treatment of Diarrhoea or Constipation in animals .
  • To improve cattle feed intake ,milk production and milk fat percentage.
  • To improve growth and liveability in livestock and poultry.
  • It improve feed conversion ratio (FCR) in poultry & cattle.
  • To improve growth and liveability in cattle and poultry.
Dosage :
For 100 Birds :
Broilers : 8-10 ml.
Layers : 10-15 ml.
Breeders : 25-30 ml.
For Cattle:
Cow, Buffalo & Horse : 30-50 ml each animal per day.
Calves : 20-30 ml each animal per day.
Sheep, Goat & Pig : 10-15 ml each animal per day.
Should be given daily for 7 to 10 days, every month or as recommended by veterinarian.

Packaging : 500 m.l., 1 ltr. & 5 ltr.

Download Literature.

Scroll to Top
×