गर्मी में मुर्गी पालन करने वालों के लिए आवश्यक है कि तापमान की तेजी से मुर्गियों को बचाया जाए, क्योंकि गर्मीं अधिक बढ़ने से मुर्गियों की मृत्यु दर बढ़ सकती है।मुर्गियों में अधिक मृत्यु दर होने से मुर्गीपालकों को भारी वित्तीय हानि उठानी पड़ सकती है।गर्मी के मौसम में थोड़ी सावधानी से मुर्गियों को तेज गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सकता है और अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक कहतें हैं कि चूजों में गर्मी झेलने की क्षमता अधिक होती है और करीब ४२ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर ये चूजे आसानी से रह लेते हैं। उनका कहना है कि वयस्क मुर्गियों को गर्मी में अधिक परेशानी होती है। गर्मी बढ़ने पर चूजों को बाड़े में ही रखें और खिड़की को पर्दे से आधा ढक दें, जिससे सीधी धूप से बचाव हो सके और हवा का संचरण भी बना रहे। वरिष्ठ पशु चिकित्सक कहतें हैं कि है कि बाड़े में ताजे पानी की आपूर्ति हमेशा रखें।
अंडे देने वाली मुर्गियों (लेयर) में तापमान सहने की क्षमता मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों (ब्रायलर) की तुलना में अधिक होती है।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि तापमान ऊपर जाने की स्थिति में मुर्गियों के पानी में एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy) मिला दें। इससे मुर्गियों को गर्मियों से निपटने में मदद मिलेगी। उनका कहना है कि आंगन में पाली जाने वाली मुर्गियों के लिए अगर संभव हो तो पानी का नल खुला छोड़ दें। इससे मुर्गियां अपनी कलगी गीली कर लेती हैं, जिससे पूरे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। इसके अलावा, गर्मियों में कमरे में एक्जॉस्ट फैन लगा कर हवा का सही संचरण रखें। कई मुर्गीपालक मुर्गियों के पीने के पानी में एमिनो पावर (Amino Power) नियमित रूप से मिला कर देते हैं इससे भी मुर्गियों को गर्मी से लड़ने की न केवल ताकत मिलती है बल्कि वजन भी तेजी से बढ़ता है ।
मुर्गियों के शेड में जरूरत से अधिक मुर्गियां रखना हानिकारक होता है।मुर्गियों के शेड में अधिक भीड़ होने से गर्मी बढ़ेगी और मुर्गियों में हीट स्ट्रोक का अंदेशा बढ़ेगा। मुर्गियों के लिए सही स्पेस के बारे में वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि ब्रॉयलर फार्म में एक वर्ग फीट स्पेस प्रति चूजे के अनुसार स्थान दिया जाता है और लेयर के लिए २ – २.५ वर्ग फीट प्रति बड़ी मुर्गी के हिसाब से जगह की जरूरत होती है। यानि ३० फीट x १०० फीट (कुल ३,००० वर्ग फीट) के शेड में मुर्गी पालक ३,००० ब्रायलर और १,२०० से १५,०० लेयर रख सकते हैं।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक कहना है कि गर्मियों में पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ा दें, क्योंकि गर्मी के मौसम में मुर्गियां पानी के बर्तन के चारों ओर बैठ जाती है जिससे दूसरी मुर्गियों को पानी नही मिल पाता है। उनका कहना है कि तेज गर्मी में अगर मुर्गियों को एक घंटे भी पानी न मिले तो हीट स्ट्रोक से उनकी मृत्यु हो सकती है। पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही यह भी ध्यान रखें कि धातु के बर्तन में पानी जल्दी गर्म हो जाता है और आमतौर पर मुर्गियां गर्म पानी नहीं पीती हैं। इसलिए अगर धातु के बर्तन में पानी रखा है, तो थोड़ी-थोड़ी देर में उसमें ताजा पानी भरते रहें। अगर हो सके तो मिट्टी के बर्तन में पानी रखें।नियमित रूप से पानी में एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy) थोड़ा -थोड़ा मिला कर दें ,इससे हिट स्ट्रोक का खतरा कम रहेगा और वजन भी तेजी से बढ़ने में मदद मिलेगा।
इसके अलावा, मुर्गी के शेड की छत गर्मी कम करने के लिए छत पर पुआल या घास आदि डाल दें और छत पर सफेदी करा दें। सफेद रंग ऊष्मा को कम सोखता है, जिससे छत ठंडी रहती है। वरिष्ठ पशु चिकित्सक के अनुसार, आधुनिक मुर्गी फार्म में गर्मी से बचाव के लिए स्प्रिंकलर या फॉगर प्रणाली भी लगी होती है, जिससे पानी की फुहारें निकलती रहती है। स्प्रिंकलर के साथ पंखे भी जरूर लगे होने चाहिए और कमरे की खिड़की भी खुली होनी चाहिए, जिससे कमरा हवादार और ठंडा रहेगा।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि कई मुर्गीपालक शेड की खिड़कियों पर तेज गर्मी के समय टाट को गीला करके लटका देते हैं। उनका कहना है कि यह गर्मी रोकने के लिए अच्छा उपाय है, लेकिन इसमें ध्यान रखें कि टाट खिड़की की जाली से पूरी तरह चिपकी न हो, टाट और खिड़की की जाली में करीब एक से डेढ़ फीट की दूरी हो। इससे हवा का संचरण भी बना रहेगा और गीले टाट से हवा ठंडी भी रहेगी। टाट को समय-समय पर गीला करते रहें। वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि गर्मियों में मुर्गियां दाना कम खाने लगती हैं, जिससे उनमें पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। इसीलिए मुर्गियों को पानी में मिलाकर एमिनो पावर (Amino Power) और ग्रो बी-प्लेक्स (Grow B-Plex) देना लाभदायक रहता है।
इसके अलावा, मुर्गियों को दिए जाने वाले दाने को गीला कर सकते हैं। गीला दाना ठंडा होगा जिसका मुर्गियां ज्यादा सेवन करेगी। परंतु ध्यान रखें कि गीला किया दाना शाम तक खत्म हो जाए वर्ना उसमें बदबू आ सकती है। दाने की बोरी को कभी भी गीला न करें।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि अगर किसी मुर्गी में गर्मी लगने के लक्षण दिखाई दें, तो उसे एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy) पानी में मिलाकर पिलायें और मुर्गी को उठा कर पानी में एक डुबकी देकर छांव में रख दें और स्वस्थ होने पर वापस बाड़े में डाल दें। यह प्रक्रिया तुरंत की जानी आवश्यक है। देर होने पर मुर्गी मर सकती है।
गर्मी में मुर्गीपालन शुरू करने से पहले की जरूरतें.
गर्मी में मुर्गीपालन शुरू करने से पहले वैज्ञानिक जानकारी लेना अच्छा रहता है। इसके लिए कृषि महाविद्यालयों या कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली जा सकती है।ग्रोवेल की वेबसाइट पर मुर्गीपालन से संबंधित ढेर सारी और किताबें और लेख प्रकाशित किये गयें हैं ,उसे पढ़ें और सुझवों को अमल करें .ये किताबें और लेख मुर्गीपालन से सम्बंधित बैज्ञानिकों द्वारा लिखें गयें हैं .
मुर्गीफार्म में छोटे पेड़ जैसे शहतूत, मौसमी, अमरुद आदि छाया के लिए लगाने चाहिए। मुर्गी पालन करने वालों के लिए आवश्यक है कि तापमान की तेजी से मुर्गियों को बचाया जाए, क्योंकि मौसमी उतार-चढ़ाव से इनकी मृत्यु दर बढ़ सकती है। मुर्गियों में अधिक मृत्यु दर होने से मुर्गीपालकों को भारी वित्तीय हानि उठानी पड़ सकती है। गर्मी के मौसम में थोड़ी सावधानी से मुर्गियों को तेज गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सकता है।ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि अगर किसी मुर्गी में गर्मी लगने के लक्षण दिखाई दें, तो उसे धीरे से उठा कर पानी से एक डुबकी देकर छांव में रख दें और एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy ) दें ,स्वस्थ होने पर वापस बाड़े में डाल दें। यह प्रक्रिया तुरंत की जानी आवश्यक है। देर होने पर मुर्गी मर सकती है।
ग्रोवेल एग्रोवेट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक गर्मीं में मुर्गीपालन करते समय निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों पर विशेष ध्यान देने को कहतें है जिससे की आप गर्मीं के दिनों में मुर्गीपालन कर अधिक से अधिक लाभ कमा सकें ।
१. चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy ) वाला पानी पिलायें। चूज़ों को ५-६ घंटे तक यही पानी पीने को दें।
२. पानी के बर्तन उचित संख्या में लगायें -१०० चूज़ों के लिए ३-४ बर्तन।
३. ६-८ घंटे तक मात्र मक्के का दलिया दें।
४. दिन के समय ब्रूडिंग ना करें।
५. बुरादे में मोटाई १.५ – २ इंच रखें।
६. मुर्गी के शेड को हवादार बनायें रखें । पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।
७. संभव हो सके तो छत पर स्प्रिंकलर लगायें या भूसा के नाड़े छत पर बिछाएं।
८. गर्मी से होने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए एमिनो पावर (Amino Power) पानी में दें।
९ . मुर्गियों को १- १.५ किलो होते ही बिक्री शुरू कर दें।
१० . ७५० ग्राम से ऊपर वाले मुर्गियों को सुबह १० बजे से शाम के ५ बजे तक दाना न दें या फीडर को ऊपर उठा दें।
११. फार्म में बहुत ज्यादा मुर्गियां नहीं पालें हो सके तो शेड के क्षमता से २० प्रतिशत कम मुर्गियां रखें।
१२. मुर्गियों की छत का गर्मी से बचाने के लिए छत पर घास व पुआल आदि को डाल सकते हैं। या छत पर सफेदी करवा सकते हैं। सफेद रंग की सफेदी से छत ठंडी रहती है।
१३. चूजों को रखने से पहले शेड को अच्छे से साफ करें और शेड के अंदर- बाहर विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव करें ।
अगर आप उपयुक्त निर्देशों का पालन करेंगे तो गर्मीं में मुर्गीपालन से अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगें ।मुर्गीपालन से सम्बंधित कृपया आप इस लेख को भी पढ़ें ब्रायलर मुर्गीपालन से सम्बंधित आधारभूत जानकारी
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